स्पेक्ट्रम बिक्री से केंद्र को हुई आय पर राज्यों ने मांगा अपना हिस्सा
सरकार को स्पेक्ट्रम की बिक्री से होने वाली कमाई पर राज्यों ने दावा ठोका है। राज्यों की मांग है कि उन्हें भी इसमें से हिस्सा दिया जाए। प्रदेश सरकारों ने यह मुद्दा अंतर-राज्य परिषद में उठाया है। सूत्रों के मुताबिक हाल में दिल्ली में हुई अंतर राज्य परिषद की स्थाई समिति की 12वीं बैठक में इस पर चर्चा हुई। राज्यों की दलील है कि स्पेक्ट्रम की बिक्री से मिलने वाली धनराशि में से उन्हें भी हिस्सा दिया जाए। हालांकि केंद्र सरकार के मंत्रालय इसके पक्ष में नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि केंद्र के दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने राज्यों की मांग ठुकरा दी है। दूरसंचार विभाग का कहना है कि स्पैक्ट्रम की बिक्री या रॉयल्टी से मिलने वाली राशि पूर्णत: केंद्र सरकार की है और इसके राज्यों में नहीं बांटा जा सकता। विभाग का कहना है कि स्पैक्ट्रम की नीलामी से प्राप्त होने वाली राशि किसी प्रकार का टैक्स नहीं है। यह धनराशि देश की संचित निधि में जमा की जाती है। इसलिए इसका बंटवारा नहीं किया जा सकता। विभाग का कहना है कि स्पेक्ट्रम प्राकृतिक संसाधन है और इसकी योजना तथा निगरानी केंद्रीय स्तर पर की जाती है। राज्य सरकारें स्पेक्ट्रम प्रबंधन के संबंध में कुछ भी धनराशि खर्च नहीं करती हैं। कोयला, तेल और गैस की तरह स्पेक्ट्रम भौतिक रूप में किसी क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसके अलावा टेलीग्राफ एक्ट के तहत स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस देने का अधिकार भी सिर्फ केंद्र के पास है। वहीं आर्थिक कार्य विभाग का कहना है कि स्पेक्ट्रम की बिक्री से मिलने वाली धनराशि का 35 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में बटंवारा एक जटिल प्रक्रिया होगा। चूंकि यह रकम एक-दो बार ही प्राप्त हुई है, इसलिए इससे राज्यों को कुछ अहम फायदा नहीं होगा। दरअसल राज्यों की यह मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र सरकार को स्पेक्ट्रम की नीलामी से मोटी धनराशि प्राप्ति हुई है। वित्त वर्ष 2016-17 में ही केंद्र को स्पेक्ट्रम की बिक्री से लगभग 65 हजार करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। अंतर राज्य परिषद में केंद्र और राज्यों से जुड़े मुद्दों पर निर्णय किए जाते हैं।
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