माल खाये निगम और इल्जाम पुलिस पर
माल खाये निगम और इल्जाम पुलिस परसतबीर भारद्वाज की कलम सेमाल खाए बांदरी और पिट जाए रीछ। जी हां आज यह दास्तान हम इसलिए बताना चाहते हैं कि नगर निगम मलाई खा रहा है और बदनाम पुलिस विभाग हो रहा है। अधिकारी मीडिया में ऐसे बयान जारी करते हैं कि उनसे बड़ा कोई ईमानदार नहीं है। डीटीपी साहब ने तो बजघेड़ा थाने पर ही ठिकरा फोड़ा दिया। 270 भूृमाफियाओं के खिलाफ शिकायत दी कि ये अवैध निर्माण कर रहे हैं और भूदोहन कर रहे हैं, इसकी शिकायत पुलिस दर्ज नही कर रही है। इन बड़बोला अधिकारी की सच्चाई हमने निकाली तो पता चला कि थाने में कोई शिकायत ही नहीं आई तो मामला दर्ज कौन करता। क्योंकि आज हम इस बात को ताल ठोककर इसलिए कह रहे हैं कि वेस्ट के डीसीपी सुमित कुमार हैं और एसीपी उद्योग सुमेर सिंह हैं। दोनों अधिकारी ईमानदारी की एक अलग पहचान रखते हैं और साथ ही उनका दबंगपन भी देखते ही बनता है। यही वजह रही कि नगर निगम के बड़बोला अधिकारी की पोल खुल गई। भूमाफियाओं से माल उनका विभाग खाता है और बदनाम पुलिस विभाग होता है। वाह जी वाह क्या कहने। मान गए अधिकारी जी। लेकिन यह हिंदुस्तान की मीडिया है आपके झांसे में नहीं आएगी, सच्चाई सामने लाती है। नगर निगम के अधिकारियों ने क्या झूठ बोलने का ठेका ले लिया है। विकास नहीं तो विनाश तो मत करो। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट भी आदेश जारी कर चुका कि भूदोहन रोका जाए। लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही। न्यू पालम विहार के अंदर हर दिन पांच-पांच मंंजिला अवैध निर्माण बनाने वाले भूमाफिया भूदोहन भी कर रहे हैं। अधिकारी बेलगाम क्यों हो रहे हैं। किस चीज के सामने बौने हो गए हैं। क्या नगर निगम के अंदर रुपये ही सबसे बड़ी चीज है, इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं है। खट्टर साहब देखिए अपने विभाग को यह तो पूरी तरह खटखटा गया है और बेलगाम हो गया है। हम आज यह बात इसलिए कह रहे हैं कि हमारी भी तमन्ना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना की जाए और भूदोहन को रोका जाए। चाहे न्यू पालम विहार हो, या फिर कोई अन्य अवैध कालोनी में बस गई हो सब जगह भूदोहन का ठेका ले लिया है। निगम के कमिश्रर ने स्पष्ट आदेश जारी किए हुए हैं कि भूदोहन होता है तो मामला दर्ज करो, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है। नगर निगम के इंफोर्समेंट विभाग की तो पैसे के सामने आंख मिच गई है। भाई बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया। यह बात सुनने में बड़ी अजीब लगती है, लेकिन हकीकत में यही हो रहा है। रुपया के सामने अधिकारी बौने हो गए हैं। डीटीपी मोहन सिंह दावा कर रहे हैं कि अवैध निर्माण के खिलाफ बजघेड़ा थाना में शिकायत दी,लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया। पता चला कि थाना में कोई शिकायत ही नहीं आई। जिस क्षेत्र की बात कह रहे हैं उस क्षेत्र के अंदर ईमानदार अधिकारी और दबंग अधिकारी की पहचान रखने वाले दो पुलिस अधिकारी लगे हैं जिसमें एक डीसीपी सुमित कुमार और साथ ही एसीपी सुमेर सिंह जो एसीपी उद्योग लगे हैं। जिस क्षेत्र के अंदर बजघेड़ा थाना भी आता है। ऐसा नहीं हो सकता है कि थाने में शिकायत जाए और कोई मामला दर्ज नहीं हो यह बात गले से नहीं उतरती। यह भी सरकारी विभाग शिकायत दे और शिकायत दर्ज
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