मोदी के जादू से अलर्ट हुए राहुल गांधी
मोदी के जादू से अलर्ट हुए राहुल गांधी- कांग्रेस के गले की फांस बना हुड्डा और सुरजेवाला- दोनों चाहते हैं राज्य में सीएम की कुर्सी- भाजपा की गुटबाजी भी खुलकर सामने आई- 20 विधायक और 5 सांसद कर सकते हैं अलविदा!- इनेलो भी तोडऩा चाहती है अपना 13 वर्षों का वनवास- कांग्रेस भांप रही है मोदी के जादू का खतरा- सीएम की कुर्सी के लिए उतावले हो रहे हैं राव इंद्रजीत- भाजपा को मार्च-अप्रैल में कर सकते हैं बॉय-बॉय- हुड्डा किनारे हुए तो राव इंद्रजीत थाम सकते हैं कांग्रेस का हाथ सतबीर भारद्वाज की कलम से हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर राजनीतिक तूफान उठने वाला है। क्योंकि भाजपा ने गुजरात के अंदर के चुनाव के दौरान ही पसीनम पसीना हो गई थी। आखिरकार प्रधानमंत्री ने भी 30-30 रैलियां करनी पड़ी और कांग्रेस के अय्यर के दिए शब्द ‘नीच’ शब्द का सहारा लेना पड़ा, तभी जाकर कांग्रेस भाजपा से पिछड़ी, और भाजपा अपनी लाज बचाने में कामयाब हुई। लेकिन अब कौन सा कार्ड खेलेगी भाजपा, क्योंकि आज हरियाणा में नौकरशाह भारी है, काफी नेता अपने आपको बौना सा साबित मान रहे हैं। क्योंकि बेचारों की चल नहीं पा रही। भाजपा को अलविदा कहने की तैयारी में है। भाजपा अपने नेताओं को कैसे मनाएगी इस बात पर मंथन हो रहा है। यदि चुनाव से पहले नेता पार्टी को छोड़ते हैं तो पार्टी में खलबली मच जाएगी और विरोधी गुजरात की तर्ज पर अपना कार्ड खेल देंगे, और कांग्रेस इसे भुना लेगी। लेकिन भाजपा इसका मौका नहीं देना चाहती। बेचारे पूर्व सीएम हुड्डा भी कांग्रेस में हासिए पर हैं, आप माने या न माने बात सत्य है। अब वह यही चाहते हैं कि उनके बेटे को सीएम की कुर्सी देने का मौका मिल जाए। लेकिन लग नहीं रहा, क्योंकि कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला का भी सपना है कि वो खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री बनें। वे कांग्रेस आकाओं के विश्वास पात्र है और हुड्डा इस बात को भांप रहे हैं लेकिन अब किस किस को बताए अपनी दुख भरी कहानियां। हरियाणा में राजनीति में अभी से ही उठक-पठक शुरू हो गई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र और दक्षिणी हरियाणा के रोशन चिराग राव इंद्रजीत अभी से ही अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने लगे हैं। क्योंकि उनके पिता राव विरेंद्र को भी देवीलाल ने ही हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने में मदद की थी और अब उनकी भी इच्छा है कि वे एक बार प्रदेश के सीएम की कुर्सी पर बैठ जाएं। बेचारे इंद्रजीत का ख्वाह भी सही है और वे रात दिन इसी उधेड़बुन में जुट रहे हैं।कांग्रेस की भी नब्ज पर ध्यान दे रहे हैं कि अगर गुजरात में कांग्रेस अच्छी बढ़त बनाती है तो हरियाणा में भी कांग्रेस कुछ गुल खिला सकती है। राव इंद्रजीत घर वापसी कर सकते हैं और भाजपा को अलविदा कह सकते हैं। मार्च-अप्रैल के महीने में राव इंद्रजीत सिंह कोई बड़ा पत्ता खेल सकते हैं। राजनीतिक पंडित तो यहां तक मानते हैं कि हरियाणा की राजनीति में अब एक बार फिर उतार-चढ़ाव आएगा क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौटाला भी अपना भविष्य तलाश रहे हैं। पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला जेल के अंदर से ही अपना राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटे हैं। कारण भी सही है कि 13 वर्षों अज्ञात वास इनेलो काट चुकी है और 14वें वर्ष में श्रीराम भी वनवास काटकर घर आ गए थे और इनेलो भी सोच रही है कि कहीं न कहीं हो सकता है कोई राजनीतिक समीकरण बैठाकर अपना वनवास पूरा कर लें। इस संदर्भ में आज हमने द पब्लिक वल्र्डडॉट कॉम वेब पोर्टल के प्रधान संपादक सुभाष चौधरी से हरियाणा की राजनीति के बारे में बात की तो उन्होंने भी अपना कुछ राजनीतिक खुलासा किया। हरियाणा में दलित वोट 20 से 22 फीसद है और इसी प्रकार यादव वोट भी 16 प्रतिशत है। प्रदेश की जाट वोट 25 से 28 प्रतिशत है और ओबीसी वोट प्रतिशत 24 हैं जिसमें यादव समाज 16 प्रतिशत वोट लेकर इसमें शमिल हैं। जबकि जनरल जिसमें ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी, राजपूत आदि समाज शामिल है और इनका वोट प्रतिशत पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा 27 से 30 प्रतिशत वोट मानते हैं वरिष्ठ पत्रकार। जनरल व ओबीसी मिले तो बदल जाएगा समीकरणसुभाष चौधरी कहते हैं कि हरियाणा में जनरल वोट 27 से 30 फीसदी है जो सरकार बनाने में विशेष स्थान रखते हैं। उनका यह भी मानना है कि यदि राव इंद्रजीत की बात करें तो राव इंद्रजीत को कांग्रेस से धोखा मिला था और भाजपा से भी धोखा मिला है। लेकिन उस वक्त वो हुड्डा को दोषी को मानते थे लेकिन अब हुड्डा को कांग्रेस किनारे करती है तो राव इंद्रजीत को मौका मिल सकता है। अगर उनको मौका मिलता है तो अपनी 24 फीसदी ओबीसी और 27 से 30 फीसदी जनरल वोट पर अपना भाग्य आजमा कर जाटों का तिलिसम तोड़ सकते हैं। वनवास खत्म करने के लिए छटपटा रहे हैं चौटालालेकिन यह राजनीति है यहां कुछ भी होना स्वाभाविक है। जी हां यह बात बिल्कुल सत्य है। किसी समय जाटों ने ही राव विरेंद्र को मुख्यमंत्री बनाया था और उस समय चौधरी देवीलाल का आशीर्वाद राव विरेंंद्र के साथ है और आज तक इनेलो के सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला भी अपनी इनेलो की साख बचाने के लिए राव इंद्रजीत में ही अपना भविष्य तलाश रही है क्योंकि उनको भी मालूम है कि 13 वर्षों का वनवास काफी लंबा होता है। इस बार मुख्यमंत्री नहीं बना तो फिर यह मौका फिर दोबारा नहीं मिल सकता। बेचारे राव इंद्रजीत इस बात को अच्छी तरह से भांप रहे हैं। विकास कार्याे को दे रही है भाजपा प्राथमिकताइस बार चुनाव लोकसभा के साथ विधानसभा के भी होने की संभावना है। भाजपा के अंदर भी नेताओं की भगदड़ मच सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है। पांच सांसदों के अलावा लगभग दो दर्जन से अधिक विधायक अपना भविष्य तलाशने में जुटे हैं। लेकिन भाजपा अभी से ही गठजोड़ की राजनीति में भविष्य तलाश रही है। यदि मोदी को गुजरात की तर्ज पर कोई नीच कार्ड का कांग्रेस ने कोई मौका नहीं दिया तो आगे क्या करेंगे। इन सब बातों पर भाजपा पूरी तरह मंथन कर रही है। यही वजह है कि विकास कार्यों में खट्टर सरकार एकदम से ताकत झौंक दी है। अब तक यही होता आ रहा था कि जो मंत्री उद्घाटन करती थी उसका श्रीगणेश अगली सरकारी करती थी। लेकिन अब भाजपा सरकार ने इसे पलट दिया है। कांग्रेस ने बदजुबानी पर लगाया तालाइतना जरूर है कि आज हरियाणा में एक बार फिर हर नेता अपना भविष्य तलाशने में जुटा है। क्योंकि हरियाणा के अंदर भी गुजरात जैसे समीकरण हैं। यहां पर भी भाजपा अपनी नैया को पार लगाने में या तो कोई कार्ड खेलने की आवश्यकता है जैसा कि कांग्रेस के नेता रहे मणिशंकर अय्यर के कहे नीच शब्द का मोदी को फायदा मिला। यही वजह है कि कांग्रेस ने भी सभी नेताओं की जुबान पर लगाम लगा दी है, वो इस बार कोई मौका नहीं देना चाहती। क्योंकि लोकसभा के साथ साथ विधानसभा के चुनाव भी हैं। अब कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी अपने राजनीतिक सलाकारों से मंथन करने में जुटे हैं कि हरियाणा में कोई ऐसा भाजपा को प्वाइंट न मिले जो गुजरात में मिल गया। अब इतना जरूर है कि आज हरियाणा में हर जगह राजनीतिक चर्चा होने लगी है। सभी ये बात कहने लगे हैं कि राव इंद्रजीत को भाजपा ने सीएम का मौका नहीं दिया था इसका राव इंद्रजीत को भी मलाल है। यही वजह है कि राव इंद्रजीत भाजपा को अलविदा कहने की पूरी तैयारी में है। लेकिन कांग्रेस की तरफ से यदि मुख्यमंत्री बनने का इशारा मिला तो वे खुलकर भाजपा के खिलाफ ही मोर्चा खोल देंगे। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बात करें तो उनको भी यह लग रहा है कि कांग्रेस में यदि उन्हें सीएम का मौका नहीं मिला तो वे भी नई पार्टी गठन की तैयारी में हैं, और इसकी रूप रेखा तैयार कर ली गई है। द पब्लिक वल्र्डडॉट कॉम वेब पोर्टल के प्रधान संपादक सुभाष चौधरी से राजनीति पर चर्चा करते आजतक गुडग़ांव के प्रधान संपादक सतबीर भारद्वाज
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