नेताओं पर भारी पड़ रहे अधिकारी
नेताओं पर भारी पड़ रहे अधिकारी राज्य सरकार भ्रष्टचार को खत्म करने के लिए रात दिन एक कर रही है। लेकिन सरकार के शासनकाल में उसकी ही नहीं चल पा रही है और नौकरशाह भारी पड़ रहे हैं। कई विभागों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आम जनता भी परेशान हैं। जनता बेचारी किस किस को सुनाए अपनी दुख भरी कहानियां। जी हां यह बात बिल्कुल सत्य है। चाहे तहसील हो या फिर नगर निगम। पुलिस हो या फिर बिजली विभाग। सबके अंदर तो भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है। आखिरकार नौकरशाह कैसे बेलगाम हो रहे हैं। खट्टर साहब जरा देखिए आपकी ही सरकार में आपके ही विधायक उमेश अग्रवाल ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया था, एक तहसीलदार पर गाज भी गिरी, भले ही मामला आपने शांत कर लिया हो। विधायक को लॉलीपॉप दे दिया हो लेकिन जनता के गले से नहीं उतर रहा है। एक नहीं कई विभागों के अंदर शिकायतें आ रही हैं कि भ्रष्टाचार हो रहा है, फिर सरकार क्यों सो रही है। कहां गई आपकी एजेंसियां जो भ्रष्टाचार पर काबू करती है। या फिर नेताओं की झेंप मानने लगी है सरकार कुछ न कुछ तो खेल है। आम जनता में चर्चा है।हरियाणा में नौकरशाह नेताओं पर पड़ रहे हैं भारी। बेचारों की सभाओं में जुबान लडख़ड़ा जाती है कि इस बार यह काम हो जाएगा लेकिन काम कब होगा वह तो अधिकारियों के ही हाथ में है। कई बार नेताओं की किरकिरी भी हो रही है। लेकिन यही वजह है कि आम जनता के अंदर भी अब यह बात चलने लगी है कि अधिकारी नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं। यह बात हम नहीं कर रहे यह तो आम जनता की जुबान पर है। जनता की जुबान को कोई रोक नहीं सकता। क्योंकि उनकी जुबान से निकला एक एक शब्द सत्य है होता है और जंगल में लगी आग की तरह फैलता है।भले ही मोदी साहब भ्रष्टाचार खत्म करने का आदेश दे चुके हों लेकिन खट्टर शासनकाल में यह सफल होता नजर नहीं आ रहा। यही वजह है कि लोग भी राजनीतिक गणित बैठाने लगे हैं कि हरियाणा में अगली बार भाजपा की सरकार नहीं बन पाएगी क्योंकि हरियाणा में नौकरशाह भारी है। यह बात भाजपा से लेकर कांग्रेस, इनेलो सभी पार्टियों की जुबान पर है। भाजपा नेता भी कहते हैं कि हम करें भी तो क्या करें। हमारी अधिकारी मानते ही कम हैं। हालांकि भाजपा के नेता दबी जुबान से कहते हैं लेकिन विपक्ष की पार्टियां इस बात को ताल ठोंक कर कहती है।भ्रष्टाचार का मामला हो इस पर हरियाणा में लगाम नहीं लग पाई है। खट्टर साहब यदि परीक्षा में पास होना है तो उत्तर प्रदेश के सीएम योगी की तरह बनिएं। नहीं तो आपकी भाजपा पिछड़ जाएगी। यदि मोदी के जादू पर ही निर्भर रहना है तो गुजरात की तर्ज पर कोई नया शब्द ढूंढना होगा और कांग्रेस की जुबान फिसलने का इंतजार करना होगा। क्योंकि भाजपा ने नीच शब्द का इस्तेमाल कर गुजरात में तो नैया पार लगा दी।भाजपा की डूबती साख को मणिशंकर अय्यर ने ही पार लगा दिया। अगर नीच शब्द का प्रयोग नहीं होता तो गुजरात का रिजल्ट कुछ और ही होता। अब जनता भी खुली जुबान में कहने लगी है कि प्रदेश में पहले तो काम आसानी से हो जाते थे भले ही कुछ देना पड़े। लेकिन अब काम भी लटकते हैं और भ्रष्टाचार उससे ज्यादा बढ़ गया। छोटा से छोटा काम कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। तहसीलों में भ्रष्टाचार पहले भी था और आज भी है। तहसील कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिना किसी सुविधा शुल्क के काम नहीं हो रहा है। हां इतना जरूर है कि अब भ्रष्टाचार कुछ बड़ा हो गया है।
|