स्टार टीचर ने वेद गौड़ ने 100 फीसद हाजिर देकर बनाया रिकार्ड
स्टार टीचर ने वेद गौड़ ने 100 फीसद हाजिर देकर बनाया रिकार्ड - मैं और मेरी कक्षा भी लिखी पुस्तक की रही चर्चा- मेवात में अध्यापक वेद को दी स्टार अध्यापक की उपाधि कृष्ण भारद्वाज (आजतक गुडग़ांव)अध्यापक वेद प्रकाश ने जिन्होंने वर्ष 2017 में साल की शुरुवात से लेकर साल के अंत तक किसी भी तरह की कोई भी अवकाश न लेकर 100 प्रतिशत रिकॉर्ड उपस्थिति दर्ज कर अन्य अध्यापक के लिये एक उदाहरण पेश किया। सभी कमर्चारी अपनी छुट्टियों को हर हाल में लेते ही हैं, इस धारणा को सिरे से तोड़ते हुए वेद प्रकाश ने पूरे वर्ष कई तरह के विशिष्ट और प्रेरक कार्य भी किये है। अध्यापक वेद प्रकाश 2016 वर्ष के अंत मे एक भीषण रोड एक्सीडेंट से भी गुजर चुके हैं और इस एक्सीडेंट में उन्हें काफी चोट भी आई और उनके दहिने कंधे की हड्डी भी टूट गई थी, लेकिन उन्होंने किसी भी परेशानी से हार न मानते हुए स्वस्थ होते हुए और सक्रिय रूप से शिक्षा से सम्बंधित विशिष्ट कार्य भी किये। वेद प्रकाश ने शिक्षा की समस्याओं और समाधान को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चित रही पुस्तक मैं और मेरी कक्षा भी लिखी और इस पुस्तक को उन्होंने राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद गुडगांव की निदेशक डॉ किरनमय, सोहना विधायक तेजपाल तंवर, जिला शिक्षा अधिकारी डॉ दिनेश कुमार शर्मा आदि अधिकारियों को भी यह पुस्तक स्कूल समय के पूरा होने के बाद ही भेंट की तथा अधिगम सवर्धन कार्यक्रम, राष्ट गान जागरूकता कार्यक्रम, रोड सेफ्टी कार्यक्रम, क्विज क्लब कार्यक्रम, प्रश्न पत्र निमार्ण शाला कार्यक्रम, कक्षा कक्ष सफाई और स्वच्छता कार्यक्रम, अध्यापक लहर और शिक्षा सारथी मैगजीन में ले, विद्यार्थी यौन शोषण सुरक्षा सूत्र कार्यक्रम, गरीब और मजदूर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाई से जोडऩे का कार्यक्रम, सफल शिक्षण के कौशल आदि विषयों पर विभिन्न सेमीनार और कार्यशाला का आयोजन भी इसी वर्ष 2017 में भी कर चुके है।इसी वर्ष कई बार ऐसा भी समय भी आया कि वेद प्रकाश के दोनों बच्चे योगिता और भव्य गौड़ एकसाथ बीमार भी हो गये, लेकिन इनकी पत्नी ज्योति ने हौसला और समर्पण दिखाते हुए अकेली स्वयं जाकर बच्चों को मेडिकल ट्रीटमेंट दिलवाया और अध्यापक वेद प्रकाश की समय पर और पूरे वर्ष स्कूल में उपस्थिति को सुनिश्चित करने मैं पूरा योगदान दिया। और साल में कई मौके ऐसे भी आय की कई वैवाहिक कार्यक्रम और पारिवारिक कार्यक्रम भी हुए, लेकिन वेद प्रकाश ने उन सभी कार्यक्रमो में हर सम्भव भागीदारी स्कूल समय के बाद और स्कूल समय के पहले देने की कोशिस कर अच्छी समाजिकता का भी परिचय भी दिया ।इसी वर्ष एक समय ऐसा भी आया जब वेद प्रकाश को काफी बुखार भी था एलेकिन फिर भी शारीरक बीमारी को अपने मजबूत इरादों और जबरदस्त लगन के बल पर एक तरफ रखते हुए नियमित स्कूल में आए और बच्चों को पूरी ईमानदारी से पढ़ाया। स्कूली कार्यो में भागीदारी सुनिश्चित की और उनके स्कूल के अध्यापक साथियों ने उनको कहा भी की छुट्टी ले लो, लेकिन उन्होंने एक भी अवकाश न लेकर मजबूत इच्छाशक्ति का भी परिचय दिया। इस बात को भी सिद्ध करके दिखाया कि यदि हर अध्यापक इसी तरह की लगन और इच्छाशक्ति से कार्य करना चाहे तो हर कोई उनकी तरह एक उदाहरण पेश कर सकता है । दूसरे अध्यापकों के लिए बने प्रेरणा के स्रोतइसके अलावा अघ्यापक वेद प्रकाश प्रतिदिन पूरे स्कूल के सभी विद्यार्थियों को एक घंटा अपने साथ जोडक़र विभिन्न शिक्षात्मक गतिविधयों में जोडक़र भी रखते है और उनके इसी समर्पण और लगन को देखते हुए जिला शिक्षा विभाग इनको जिले का स्टार टीचर की उपमा से भी परिभाषित कर चुका हंै और इनको इसी वर्ष उत्कृष्ट शिक्षक और साहित्य और लेखन में विशिष्ट कार्य के लिये समानित भी कर चुका है। इस तरह अध्यापक ने सरकारी कर्मचारियों के ज्यादा अवकाश लेने की फैली हुई धारणा को भी अपनी लगन, मेहनत और समर्पण से तोड़ते हुए न केवल नूह जिले के लिये बल्कि पूरे राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिये अनूठी और प्रेरणा की पहल पेश की है।
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