महिला थाना से न्याय की आस टूटी, अब दिल्ली में धरना देगी पीडि़त एमबीए बेटी
महिला थाना से न्याय की आस टूटी, अब दिल्ली में धरना देगी पीडि़त एमबीए बेटी-हरियाणा भवन के बाहर धरना देने को मजबूर हुई पीडि़त बेटी-आरोपियों की जमानत रद्द नहीं कराने को लेकर पुलिस पर चाल चलने का आरोप-पीडि़ता ने पत्रकारों को कहा-महिला थाने में न्याय नहीं मिलता तो जीने का क्या फायदा-हरियाणा भवन पर आत्महत्या करने की कही बात गुरुग्राम सतबीर भारद्वाज (आज तक गुडग़ांव) :साइबर सिटी की एक बेटी का अब महिला थाना से उठा विश्वास और हरियाणा भवन दिल्ली में धरना देने की तैयारी में है बेटी। महिला ने आज महिला थाने पर ही लगाई सवालों की बौछार। यह महिला थाना है या पुरुष थाना। यहां महिलाओं को नहीं पुरुषों को मिलती है तवज्जो। पैसे के सामने महिलाओं को नहीं मिलता न्याय। मामला गर्माता देख पुलिस के भी हाथ-पांव फूृल गए। स्वयं विवादों में घिरी जांच अधिकारी की जांच बिठा दी गई। इससे पुलिस विभाग में मची है खलबली। पीडि़ता ने पुलिस आयुक्त का भी खटखटाया है दरवाजा। इस कडक़ती गर्मी के अंदर जहां पर 48 डिग्री पारा चढ़ गया हो, वहां पर पुलिस का पारा भी अब चढ़ता जा रहा है। क्योंकि पीडि़ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दी थी और महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया था, उस पर जांच शुरू हो गई है। लेकिन अब पीडि़त अड़ गई है कि महिला थाना में महिलाओं को नहीं मिलता न्याय। आपको बता दें कि यहां के राजेंद्रा पार्क कालोनी में रहने वाली एमबीए पास बेटी राखी की शादी 13 दिसम्बर 2015 में दिल्ली की पालम कालोनी निवासी पवन पुत्र बालकिशन के साथ हिंदू रीति रिवाज के साथ अपनी हैसियत से बढक़र की गई थी। शादी के करीब तीन महीने बाद ससुरालीजनों की तरफ से राखी पर दहेज का दबाव बनाया जाने लगा। राखी से स्विफ्ट डिजायर कार और पांच लाख रुपए नकदी मांगे गए। इस मामले में चार-पांच बार पंचायतें भी हुई, ताकि घर टूटने से बचाया जा सके। लेकिन कोई फायदा नहीं हुई। लडक़ा पक्ष अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था। परिजनों ने राखी को ससुराल से घर बुला लिया। इसके बाद लडक़े के मंा-बाप ने राखी के घर के बाहर आकर गाली-गलौच की। लडक़ी को यह तक कह दिया कि वह उनके घर के लायक नहीं है। इस मामले में लडक़ी के बयान पर सेक्टर-51 स्थित महिला सैल में शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद महिला सैल में दोनों पक्षों को बुलाकर काउंसिलिंग की गई। पूरी सुनवाई में महिला सैल ने लडक़ा पक्ष की ही गलती पाई। महिला सैल की अधिकारी ने राखी के पति पवन कुमार से जब सरकारी कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा तो उसने वह कागज ही फाड़ दिया। अधिकारी भी उसकी इस हरकत से अवाक रह गई। उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई भी नहीं की। राखी का आरोप है कि महिला सैल की मीडिएशन अधिकारी ने उनसे (लडक़ी पक्ष से) फैसला कराने के नाम पर दस हजार रुपए नकद भी लिए थे। इसके बाद यह मामला अदालत के मीडिएशन में चला गया। वहां पर भी दोनों पक्षों के बीच काउंसिलिंग की गई। वहां पर भी कोई बात नहीं बनी। अदालत ने इस केस को महिला थाना को भेज दिया। महिला थाना ने सुप्रीमकोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले को अदालत की वेल्फेयर कमेटी के न्यायधीश नरेंद्र यादव के पास भेजा। वहां पर दोनों पक्षों को फिर से बुलाया गया और आपसी समझौते की बात कही कि घर बसा रह जाए। वहां पर भी बात नहीं बन पाई। इसके बाद न्यायधीश नरेंद्र यादव ने समझौता न होते देख वर पक्ष के खिलाफ महिला थाना को केस दर्ज करने के आदेश दे दिए। आरोपियों के खिलाफ महिला थाना में केस तो दर्ज हो गया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। आईओ सुमन पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोपनए पुलिस आयुक्त से भी इस बेटी को कुछ उम्मदी बंधी है। लेकिन अब महिला सैल पर कई सवालों ने विवादों में खड़ा कर दिया है। आखिरकार महिला सैल की पूर्व जांच अधिकारी सुमन ने आरोपियों का साथ क्यों दिया, जमानत का विरोध क्यों नहीं किया और रिमांड क्यों नहीं मांगा। महिला सैल में भी दो बेटियां तैनात है एक एसीपी और दूसरी एसएचओ हैं तो फिर ये अधिकारी बेटी को न्याय क्यों नहीं दिला पा रही है। सीएम कार्यालय ने महिला सैल के जांच के आदेश जारी किए। महिला सैल की जांच भी महिला सैल ही कर रहा है, बेटी को न्याय कैसे मिलेगा। सीएम विंडो का भी बना दिया मजाकसीएम विंडो का हाल यह है कि महिला सैल ने ही मजाक बना दिया है। जांच भी पहले तो आरोपों में घिरी अधिकारी को ही दे दी थी लेकिन बाद में निष्ठावान और साफ छवि के अधिकारी को मिली है। अब क्या महिला पुलिस आरोपियों की जमानत रद्द कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी या फिर बेटी रोती रह जाएगी। थाने में चार पीते हैं आरोपीराखी दो साल से न्याय के लिए महिला सैल में दर दर की ठोकरें खा रही है। लेकिन महिला सैल की सब इंस्पेक्टर सुमन व इससे पहले भी महिला पुलिस अधिकारी आरोपी को थाने में बैठाकर चाय पिलाते हैं। दो साल पहले राखी ने महिला सैल में एक शिकायत दी थी जिसकी पहले काउंसलिंग हुई और उसके बाद में फिर मामला मिडियशन में गया और वहां भी काउंसलिंग हुई। मामला दोबारा महिला सैल में आया, फिर माननीय न्यायाधीश नरेंद्र यादव की कोर्ट में वेलफेयर कमेटी में गया और वहां पर बात नहीं बनी जब माननीय न्यायाधीश ने मामला दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। पीडि़ता को आईओ ने किया दिगभ्रमितराखी ने बताया कि महिला सैल में महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है। मेरे को जांच अधिकारी सुमन ने कहा कि आपके ससुराल वालों को जमानत मैने रद्द करा दी। जबकि जांच अधिकारी सुमन ने हमें अंधेरे में रखा और आरोपियों की जमानत हो गई। एक पुलिस अधिकारी का यह भी फर्ज बनता था कि उसके थाने में संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज है तो आरोपियों को रिमांड पर लेने के लिए अर्जी लगाती। लेकिन पुलिस ने अदालत में अर्जी भी नहीं लगाई बल्कि पुलिस अधिकरी सुमन ने कानून के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए आरोपियों की जमानत में सहयोग किया। आरोपियों का रिश्तेदार कर रहा है पुलिस से सैटिंगपुलिस अधिकारी का फर्ज बनता था कि जमानत लगी है तो पीडि़त को भी इसकी सूचना दी जाए, लेकिन यह तो महिलाओं पर अत्याचार करने वाली सैल हुई है। आरोपियों की मौसी का लडक़ा वासुदेव जो आरोपी का भतीज जमाई था उसने पुलिस से सैटिंग की और चार लाख रुपये पुलिस में चढ़ावा चढ़ा दिया। अब उसने मेरे को ताने देकर कहा कि हमारे तो चार लाख रुपये खर्च हो गए तुम क्या करोगी। हमने सब कुछ सैट कर दिया।आईजी सीआईडी से की जांच की मांगआरोप है पुलिस अधिकारी ने आरोपियों से मिलकर अदालत में जमानत कराने में सहयोग किया है। राज्य सरकार बेटी पढओ और बेटी बचाओ नारे को वापस लें अन्यथा मैं हरियाणा भवन पर धरना पर बैठूंगी और भूख हड़ताल कर अपना प्राण त्याग करूंगी कि कैसे महिला सैल में पीडि़तों को तंग किया जा रहा है। इस मामले में जो भी अधिकारी संलिप्त हैं उनकी जांच कराई जाए। जांच भी आईजी सीआईडी के द्वारा कराई जाए या फिर एसटीएफ के द्वारा कराई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके, अन्यथा भ्रष्टाचार के चलते महिलाओं का महिला सैल से विश्वास उठ जाएगा। अदालत के आदेश पर भी नहीं हो रही कार्रवाईहमारी राज्य सरकार बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान चला रही है लेकिन यहां पर बेटी धक्के खा रही है। ऐसी जिंदगी से तो अच्छा है मैं अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर लूं। बेटियों के लिए न्याय मिले इसके लिए थाने खोले गए लेकिन पुलिस अपनी असलियत पर आने से नहीं चूकती। आज तक आरोपियेां को गिरफ्तार करने के लिए नहीं कहा गया। क्योंकि महिला अधिकारी यही बात कहती है कि अदालत ने आदेश दिए हैं लेकिन जांच तेा हमने ही करनी है। क्या माननीय न्यायाधीश के उपर होकर अधिकारी जांच कर सकते हैं। अदालत ने भी काउंसलिंग कराई और मामला दर्ज करने के आदेश दिए। मामला दर्ज होने के बाद भी मुझे थाने के चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है और आरोपी थाने में बैठकर चाय की चुस्की ले रहे हैं।
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